अफ़सोस के फ़साने सजाना
दर्द को खूबसूरत बनाना
दिखता न हो जब खुशियों का आलम
ग़म की गहराईयों में डूब जाना
दुनिया से ताल्लुख एक नज़्म का रह जाये
बात वो रोते हुए एक ऐसी कह जाए
समझोगे तुम जिसे जब डूब रहे होगे
वर्ना तो जलवों में क्या खूब रहे होगे ...
दर्द को खूबसूरत बनाना
दिखता न हो जब खुशियों का आलम
ग़म की गहराईयों में डूब जाना
दुनिया से ताल्लुख एक नज़्म का रह जाये
बात वो रोते हुए एक ऐसी कह जाए
समझोगे तुम जिसे जब डूब रहे होगे
वर्ना तो जलवों में क्या खूब रहे होगे ...
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