सूखे से कपड़े की रंगत बदल दी

उस बूँद ने जज़्ब होकर खुश्की मसल दी

न जाने आंख में कब और कैसे दाखिला पाया

और किस तरह आँखों से रास्ता बनाया

बूँद बूँद टपका फ़िर धुन्द्लापन

घुल कर उसके साथ कुछ यादें बह गयीं

दिल में खामोश खराशे रह गयीं

चमकते दीदों से फ़िर कुछ नया देखने को तैयार

ज़िन्दगी के तजुर्बे फ़िर बरक़रार

फ़िर अचानक एक दिन कुछ अलग थी मुलाक़ात

ग़म न होकर बेहद खुश होने की बात

हस्ते हस्ते धीरे से चुप कर फ़िर एकदम हुई हाज़िर

तोड़ कर सारी बंदिशें फ़िर कपड़े पर ज़ाहिर

उसी तरह जज़्ब खुश्की मिटाकर

फ़िर बैठा हूँ आज कुछ मोती गवाह्कर

इसी नुक्सान में छुपी मेरी यादों की कमाई है

जिसे जोड़ कर मैंने ज़िन्दगी की एक तस्वीर बनाई है

वख्त के साथ इसमे और रंग जुड़ जायेंगे

और हम ऐसे ही इसे रोज़ देख कर खुशी और रंज के आँसू बहायेंगे

इंसान हैं,अपनी फितरत थोड़े ही बदल पाएंगे...


Comments

Sonia said…
wah!

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