
लूट लो..लूट लो...मौका फ़िर नहीं आएगा
सुन लो मेरी आवाज़ घर का चूल्हा जल जाएगा
२ के 50 ,4 के 100 ..रंगों में अनगिनत
बिक गया एक और तो ठीक कर लूँगा टपकती छत
एक दम टिकाऊ ,सबसे मज़बूत चलें सालो साल
आज सुबह भी उठकर पुछा ख़ुद से यही सवाल
जल्दी करो ज़रा जल्दी करो कहीं मौका छूट न जाए ?
क्या खायूँगा रात में जो ये बर्तन न बिक पाये
तिफ्फिन,कटोरी,चम्मच,प्लेट सब है अपने पास
फक्र से जीवन फिर भी चल रहा जोड़े साँस में साँस...
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