
ये देखो और जोश में आ जायो
वो देखो और शर्मिन्दा हो जायो
इस रिसाले में उसकी कामयाबी का ज़िक्र
जिसे पढ़ कर जग जाती है ज़हन में फ़िक्र
ज़िन्दगी क्या देगी ये कोई नही जानता
भागती दुनिया में तुझे कोई नही पहचानता
उम्र से पहले ख़ुद को उमरदार समझता है
कोशिश से पहले अपनी हार समझता है
कदम न उठाने की हज़ार हैं मजबूरियां
बढ़ती जा रही हैं वख्त के साथ मंजिल से दूरियां
थोड़े दिनों में ख़ुद से समझौता सीख जायोगे
तुम होते तो क्या करते ऐसे किस्से सुनायोगे
पर सच तो इससे बदलता नही है
हर काबलियत तुम्हारी आज भी अनकही है
वो कम काबिल पर उसने आवाज़ तो उठायी
तुमने बस सोच कर ज़िन्दगी गवाई
जिस राह पर तुम अपनी गाड़ी खींच रहे हो
जिस शिद्दत से अपनी ज़िन्दगी सींच रहे हो
वो शायद तुम्हे जीवन में आराम पंहुचा दे
ज़रूरत की हर चीज़ मोहैय्या करा दे
पर चैन तो तुमको तब ही आयेगा
जब दिल से कोई तेरी पीठ थाप्थापायेगा
कहीं एक ज़िन्दगी तो कहीं सात जनम कहते हैं
जहाँ खुशियों की हम उमीदे बांधे रहते हैं
अच्छा है हम अपनी किस्मत से अनजान है
इसीलिए हम शायद आज भी इंसान हैं
जो होती मालूमात तो सब बदल डालते
आगे अपने किसी की न खुशियाँ संभालते ...
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