हर पेड़ के हरयाली में ज़िंदगी नज़र आती है

हर सड़क वो काली जो रस्ते दिखाती है

है इन्ही का साथ जो हिम्मत है बढाता

वरना मंजिल पर तनहा मै कैसे पहोंच पाता

वो छाओं वो पक्के फौलाद जैसे रस्ते

कहीं प्यार तो कहीं हिम्मत बढ़ाने के दस्ते

इन्ही के सहारे मै चलता चला हूँ

गोदों में इनकी झूला झूल के पला हूँ

ये पेड़ और सड़के हैं माँ बाप जैसे

न जाने हैं
कितने मेर घर े कैसे कैसे

किसी भी पेड़
की छाओं में सो जाता हूँ

जिस रस्ते पर चाहूँ कदम बढाता हूँ

हैं रखते ये ख़याल मेरा हर उस मोड़ पर

जहाँ किस्मत चली जाती है मुझे अकेला छोड़ कर

एक बात तब मुझको खुशी दे जाती है

ये पेड़ और सड़कें मेरी ज़िंदगी के साथी हैं

मै चाहूँ न चाहूँ ये साथ निभाएंगे

मेरे आखिरी सफर में भी मुझे मंजिल तक पहोंचायेंगे...

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